#बोलऽ_दीं_का_उपहार..?
रूठी पत्नी को मनाते भोजपुरिया पति
#बोलऽ_दीं_का_उपहार..?
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चुड़ी,गजरा, बिंदिया पायल कंगना उधार।
बोलऽ दी का उपहार, मन से गोरिया हमार।।
पइसा ना कौड़ी बाटे हाथ बडुवे खाली।
सोचऽतानी लेइ लीहीं कनवे के बाली।
होई जब रुपया पइसा, चुकता उधार।
बोलऽ दी का उपहार, मन से गोरिया हमार।।१।।
काम धंधा ठप भइल, जिनगी मोहाल बा।
कइसे बताईं रानी, गजबे नु हाल बा।
रुसल बाड़ू छोड़ ऽ धनिया, आदत बेकार।
बोलऽ दी का उपहार, मन से गोरिया हमार।।२।।
मेहनत – मजूरी से ना, हम घबराईं।
काम-धंधा मिलत नइखे, बोलऽ कहवाँ जाईं।
तनिका भरोसा कइलऽ, साच बा ई प्यार।
बोलऽ दी का उपहार, मन से गोरिया हमार।।३।।
तुहिं हमरऽ जान हऊ, मानऽ दिलजानी।
तोहि में परान बसे, एहो मोरि रानी।
छोड़ऽ खिसियाइल रानी, कइल सिंगार।
बोलऽ दी का उपहार, मन से गोरिया हमार।।४।।
बाँधि के सनेहिया के, डोरिया में लइनी।
सात रे बचनियाँ में बँधि तोहरे भइनी।
कबो झगरा से होई नाही, कवनो सुधार ।
बोलऽ दी का उपहार, मन से गोरिया हमार।।५।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’