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4 Sep 2025 · 1 min read

ये बूँदें कुछ तो कहती हैं

ये बूँदें कुछ तो कहती हैं
ये बूँदें कुछ तो सहती हैं ,
रिमझिम-रिमझिम बातें करतीं
ये बूँदें रस में बहती हैं ।

पत्तों पर पड़ -पड़ गाती हैं
धरती पर छम-छम आती हैं
तेज हवा में झूम -झूम कर
ये मधुरिम राग सुनाती हैं ।
ये बूँदें कुछ तो कहती हैं…….

ये कितना मन को भाती हैं
ये मीठे भाव जगाती हैं ,
विरह वेदना सह बादल की
ये दरिया में मिल जाती हैं ।
ये बूँदें कुछ तो कहती हैं……

ये सारी सखियाँ लगती हैं
ये आकर भू पर मिलती हैं;
झम झमाझम मधु छंद गाकर
ये सूखे सरवर भरती हैं ।
ये बूँदें कुछ तो कहती हैं…..

डाॅ. रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल

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