ये बूँदें कुछ तो कहती हैं
ये बूँदें कुछ तो कहती हैं
ये बूँदें कुछ तो सहती हैं ,
रिमझिम-रिमझिम बातें करतीं
ये बूँदें रस में बहती हैं ।
पत्तों पर पड़ -पड़ गाती हैं
धरती पर छम-छम आती हैं
तेज हवा में झूम -झूम कर
ये मधुरिम राग सुनाती हैं ।
ये बूँदें कुछ तो कहती हैं…….
ये कितना मन को भाती हैं
ये मीठे भाव जगाती हैं ,
विरह वेदना सह बादल की
ये दरिया में मिल जाती हैं ।
ये बूँदें कुछ तो कहती हैं……
ये सारी सखियाँ लगती हैं
ये आकर भू पर मिलती हैं;
झम झमाझम मधु छंद गाकर
ये सूखे सरवर भरती हैं ।
ये बूँदें कुछ तो कहती हैं…..
डाॅ. रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल