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2 Sep 2025 · 1 min read

मैं रंगों से भरी तितली 🫰🏻🫰🏻🫰🏻

किसी गुलजार से पूछो
ना भवरे क़ो तलाशा हैँ
मैं रंगों से भरी तितली
कहाँ मुझको तरसोगे

तुम फूलो से मत पूछो
मेरी कहानी क़ो
उसमे डूब जाओगे जब
सुनोगे पंखो की जुबानी क़ो

तुम आँचल बिछाओगे
अपनी हथेली के
वो नादान सी तिलती
दस्तर-ख़्वान समझेगी

वो जिसने रंगों क़ो छुआ मेरे
तभी वो देखा पाया हैँ
कितनी नाजुक हूँ मैं
फिर भी तड़पता छोड़ जाता हैँ

कोई कलम नहीं जिसमे
फकत मेरे ख़त भी हो
यूँ रात तो मेरी
चांदनी मे गुजरती है

मोहब्बत से नवाजेगा
मुझे प्रभात होने दो
नजरें छिपी नजर से जब
लगा इम्तिहान होने दो

ज़ख़्म भी भरा मेरा
जब मुलाक़ातों मे हथेली थी
ओर स्पर्श रंगों मे
सिमट गया अब

दरख़्त काट के जिंदगी
थक गई हूँ झाड़ियों मे
ओर साए का तस्ववूर
पलकों मे बैठाया है

यू तो मुफ्त मे रंगों क़ो
पहले बाट बैठी हूँ
प्यासी लगी मैं खुदको
जब बेरंग सा पाया है

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