राष्ट्र निर्माण के स्तंभ: शिक्षा से समाज को संवारते प्रधानाचार्य योगेश कुमार
आज जब देश तेज़ी से तकनीकी विकास की ओर बढ़ रहा है, तब समाज के समक्ष कुछ ऐसी चुनौतियाँ भी खड़ी हैं, जो केवल नीतियों से नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों, नैतिक शिक्षा और समर्पण से ही हल हो सकती हैं। शिक्षा न केवल ज्ञान का साधन है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की आधारशिला भी है। और इस पवित्र कार्य को पूरी निष्ठा, तन्मयता और समर्पण के साथ निभा रहे हैं — राजकीय बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, भोरगढ़ (दिल्ली) के प्रधानाचार्य श्री योगेश कुमार जी।वर्तमान दौर में देश के सामने अलग अलग प्रकार की अनेकों चुनौतियां मौजूद हैं।देश को प्रगति की राह पर अग्रसर करना केवल सरकार का ही कार्य नहीं है अपितु यह प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्ठा के साथ करे ताकि देश सही पथ पर आगे बढ़ सके। वैसे तो देश की आन बान के लिए मर मिटने वालों की लंबी फेहरिस्त है मगर अपने सार्थक प्रयासों से राष्ट्र को उन्नति की राह पर अग्रसर करने वाले शिक्षक वर्ग को अनदेखा करना सरासर गलत होगा। भोरगढ़ (दिल्ली) के राजकीय बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत योगेश कुमार न केवल शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि वह आने वाले कल की एक सशक्त इबारत भी गढ़ रहे हैं, जिसमें हर बच्चा ज्ञान, संस्कार और आत्मविश्वास से परिपूर्ण होकर एक बेहतर नागरिक के रूप में समाज को दिशा देगा।योगेश कुमार शिक्षा प्रणाली में मौजूद खामियों को दुरुस्त करके बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।वह गरीब तबके के बच्चों में अपने प्रयासों से शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।
साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण सफ़र
हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव रोहट में जन्मे योगेश कुमार का जीवन एक संघर्ष, मेहनत और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल है। उनके पिता राजेन्द्र सिंह हरियाणा रोडवेज में चालक के पद पर कार्यरत थे और माता एक सामान्य गृहणी थीं। सीमित संसाधनों में पले-बढ़े योगेश कुमार को प्रारंभ से ही यह महसूस हो गया था कि देश की असली प्रगति शिक्षा की रोशनी से ही संभव है।
इसी सोच को जीवन का ध्येय बनाकर उन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में अध्यापन कार्य की शुरुआत की। उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालयों में वर्षों तक सेवाएं दी और देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षा की अलख जगाई। उन्होंने न केवल विद्यार्थियों को पढ़ाया, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बदलाव की शुरुआत – दिल्ली में बतौर प्रिंसिपल
UPSC परीक्षा के माध्यम से योगेश कुमार का चयन दिल्ली राज्य में प्रिंसिपल पद पर हुआ। उन्हें जब राजकीय बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, भोरगढ़ की जिम्मेदारी मिली, तो स्कूल अनेक चुनौतियों से जूझ रहा था। सबसे बड़ी समस्या थी – छात्रों की अनुपस्थिति और अनुशासनहीनता।
यहां अधिकतर छात्र ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते थे, जिनके माता-पिता शिक्षा के महत्व से अनभिज्ञ थे। कई बच्चे नियमित स्कूल नहीं आते थे, तो कुछ देर से पहुंचते थे। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए योगेश कुमार ने निर्णय लिया कि बदलाव केवल स्कूल के भीतर से नहीं, परिवार और समाज से संवाद के माध्यम से ही आएगा।
संवाद, समर्पण और सुधार की त्रिमूर्ति
उन्होंने विद्यार्थियों के अभिभावकों से व्यक्तिगत संवाद करना शुरू किया। शिक्षा के महत्व को समझाया, बच्चों की उपस्थिति और प्रगति की जानकारी साझा की और यह भरोसा दिलाया कि स्कूल बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव है। यह कार्य आसान नहीं था, लेकिन निरंतर प्रयासों और धैर्य से उन्होंने माहौल में सकारात्मक परिवर्तन लाना शुरू कर दिया।
योगेश कुमार ने विद्यालय के शिक्षकों को भी अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे न केवल छात्रों की उपस्थिति में बढ़ोतरी हुई, बल्कि शैक्षणिक परिणामों में भी उल्लेखनीय सुधार आया।
विद्यालय का बोर्ड परीक्षा परिणाम 95% से अधिक रहने लगा, और स्कूल का नाम क्षेत्र में श्रेष्ठ विद्यालयों की सूची में शामिल हो गया।
योग्यता से सुसज्जित, मूल्यों से परिपूर्ण
योगेश कुमार न केवल एक कुशल प्रशासक हैं, बल्कि गहराई से शिक्षाविद् भी हैं। वे तीन विषयों में मास्टर डिग्री, एम.फिल, यूजीसी नेट, साथ ही CIG और DCGC जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के प्रमाणित विशेषज्ञ हैं।
वे मानते हैं कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। वास्तविक शिक्षा वह है जो बच्चों के चरित्र, सोच और सामाजिक जिम्मेदारी को आकार दे। वह हर विद्यार्थी को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं और उनके व्यक्तित्व विकास, मानसिक स्वास्थ्य, और सामाजिक सजगता के लिए हरसंभव मार्गदर्शन देते हैं।
राष्ट्र निर्माण की नींव – विद्यालय से
योगेश कुमार का कहना है:
“देश के समक्ष आज जो विविध चुनौतियाँ हैं – भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, असमानता, उनमें से अधिकतर का समाधान स्कूलों से होकर निकलता है। जब शिक्षक अपने दायित्वों का पालन निष्ठा से करेंगे, तब आने वाली पीढ़ी एक स्वस्थ, सजग और सशक्त भारत का निर्माण करेगी।”
वे यह भी कहते हैं:
“बच्चों की मुस्कान ही देश की सच्ची मुस्कान है। अगर हम उन्हें अच्छा इंसान बना सके, तो यही राष्ट्र सेवा की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।”
सम्मान और प्रेरणा
अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए योगेश कुमार को अनेक बार राजकीय एवं सामाजिक मंचों से सम्मानित किया गया है। लेकिन उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है – छात्रों की आँखों में विश्वास और सफलता की चमक।
उनकी सोच प्रेरणा देती है कि शिक्षक केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि समाज के चरित्र निर्माता भी हैं।
उम्मीद की किरण
आज जब शिक्षा प्रणाली अक्सर केवल परिणाम और अंकों के आंकड़ों तक सीमित होकर रह जाती है, योगेश कुमार जैसे शिक्षक इस बात की मिसाल हैं कि शिक्षा का असली मकसद एक बेहतर इंसान और एक बेहतर समाज का निर्माण है।
उनका कार्य और दृष्टिकोण यह संदेश देता है कि अगर एक प्रधानाचार्य पूरे मन से प्रयास करे, तो एक स्कूल ही नहीं, पूरा समाज बदल सकता है।
यदि हम सब शिक्षक, अभिभावक, और समाज एकजुट होकर शिक्षा की मशाल को जलाएं, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत सही मायनों में ‘ज्ञान-गुरु’ बनकर विश्वपटल पर उज्ज्वल स्थान प्राप्त करेगा।
नसीब सभ्रवाल “अक्की”
गांव बांध,पानीपत 132107 हरियाणा
Mo-9716000302