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26 Aug 2025 · 1 min read

"सुबह-ओ-शाम"

रात अंधेरे में सुबह-ओ-शाम देखते हैं,
ज़िंदगी का इक नया इंतज़ाम देखते हैं

चलो चराग़ फ़िर से रौशन होने लगी है,
आँखों से हवाओं का इंतकाम देखते हैं

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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