होंठ चुपचाप हों भले लेकिन,
होंठ चुपचाप हों भले लेकिन,
आँख से तो रहा नहीं जाता।
जख़्म इतने दिये हैं दुनिया ने,
दर्द बिल्कुल सहा नहीं जाता।
राजेश पाली ‘सर्वप्रिय’
होंठ चुपचाप हों भले लेकिन,
आँख से तो रहा नहीं जाता।
जख़्म इतने दिये हैं दुनिया ने,
दर्द बिल्कुल सहा नहीं जाता।
राजेश पाली ‘सर्वप्रिय’