भक्ति और इतिहास के, गूँज रहे हैं बोल ।
भक्ति और इतिहास के, गूँज रहे हैं बोल ।
मेला देखन चल दिए, क़दम ये पांडुपोल।।
डा सीमा विजयवर्गीय
भक्ति और इतिहास के, गूँज रहे हैं बोल ।
मेला देखन चल दिए, क़दम ये पांडुपोल।।
डा सीमा विजयवर्गीय