यमराज का रक्षाबंधन
इस बार रक्षाबंधन के अवसर पर
जब बहन मुझे राखी बाँधने जा रही थी,
कि उसी समय मित्र यमराज आकर जम गये,
और राखी बँधवाने पर अड़ गए।
मैं धीरे से फुसफुसाया – अरे यार! बहन डर जायेगी
क्या तुझे इसका भी ख्याल नहीं आया?
यमराज ने फ़रमाया – बिल्कुल आया लंबरदार
मुझे लगता है, वो नहीं, तू डर रहा है।
वो तेरी ही नहीं, मेरी भी बहन है
फिर क्यों वो अपने भाई से ही डरेगी?
क्या सिर्फ तेरा ही उस पर सर्वाधिकार है।
चल! तू पीछे हट पहले मेरी कलाई पर राखी बँधेगी,
अब वो सिर्फ तेरी ही नहीं मेरी भी बहन है,
मैं भी उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी उठाऊँगा
हर सुख दुःख में उसका साथ हर हाल में निभाऊँगा,
उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर पाऊँगा।
उसकी आँखों में कभी आँसू नहीं आने दूँगा
उसका मजबूत सुरक्षा कवच बनूँगा,
किसी ने उस पर गंदी नजर जो डाली
तो उसे सीधा यमलोक ले जाकर पटक दूँगा।
कहकर उसने बहन के सिर पर हाथ फेरा
बहन ने उसके भातृत्व भाव को महसूस किया
उसके माथे पर टीका लगा, मिठाई खिला
उसकी कलाई को अपनी राखी के धागों से सजा दिया।
यमराज की आँखों में आंँसू आ गये
उसने बहन के पैर छुए,
सिर पर हाथ रख आशीष दिया और चुपचाप चला गया,
उसका यह अंदाज हम भाई बहनों को रुला गया,
इस बार का रक्षाबंधन इतिहास बन गया।
सुधीर श्रीवास्तव