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6 Mar 2024 · 1 min read

तुझे पन्नों में उतार कर

तुझे पन्नों में उतार कर
मन की ख्वाहिश पूरी कर लूं,
कसक दबी बरसों से
लिखकर जी हल्का मै कर लूं।
रूह से जुड़े जज्बात मेरे,
चमका अक्षरसे वक्त गुलजार कर लूं।
खोई थी न जाने मैं कब से,
मुलाकात खुद से अब कर लूं।
स्वप्निल संसार से निकल कर
इज़हार खुद से ही कर लूं।
बीच राह में ही लुढ़क पड़ा अश्रु,
ओ, मेरी रचना तुझे बाहों में मैं भर लूं।
मिलन जुलना लगा ही रहता है,
अब इश्क खुद से ही कर लूं।
– सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान

1 Like · 272 Views
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