एक शिकस्त जो छाई थी मेरे चेहरे के उफानों पर
एक शिकस्त जो छाई थी मेरे चेहरे के उफानों पर
वो आज बर्खास्त हो रही है शब्दों के कारखानों पर
मुफ़्त में न मिली तारीफें ,
और ये अनकहे जो तुम सुन रहें बातें
खुशियां मिल रही है अब खुशियों के आने पर