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30 Jun 2025 · 1 min read

*जाते-जाते भी गई, कहॉं जाति-पहचान (कुंडलिया)*

जाते-जाते भी गई, कहॉं जाति-पहचान (कुंडलिया)
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जाते-जाते भी गई, कहॉं जाति-पहचान
पूछ रहे सब जाति को, किसकी क्या श्रीमान
किसकी क्या श्रीमान, नहीं गुण देखे कोई
मचा जाति का शोर, साधुता देखो रोई
कहते रवि कविराय, जाति के मंच बिछाते
सज-धज कर सब लोग, जाति-सम्मेलन जाते
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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