वो नजरों के पास हैं, या नजरों से दूर ।
वो नजरों के पास हैं, या नजरों से दूर ।
दिल के सारे खेल अब , दिल से हैं मजबूर ।
उनकी हैं सब धड़कनें, उनके हैं सब ख्वाब –
फिर अश्कों से गुफ़्तगू, उल्फत का दस्तूर ।
सुशील सरना
वो नजरों के पास हैं, या नजरों से दूर ।
दिल के सारे खेल अब , दिल से हैं मजबूर ।
उनकी हैं सब धड़कनें, उनके हैं सब ख्वाब –
फिर अश्कों से गुफ़्तगू, उल्फत का दस्तूर ।
सुशील सरना