लौट आ
लौट आ
कोई बैठा है इंतजार में तेरे
चार आंखें राह तकती हैं
तेरे लौट आने की उम्मीद में
लौट आ
बहुत हुई बेकरारी
कोई बैठा है इंतजार में तेरे
जरा सी आहट होती है
तो पूछते हैं कि आ गया तूँ
लौट आ
जिंदगी हुई भारी
कोई बैठा है इंतजार में तेरे
भूख है न ही प्यास है
आँसू छिपाकर पी जाते हैं
लौट आ
देख तो लाचारी
कोई बैठा है इंतजार में तेरे
“V9द” कहाँ खोया है
आना होगा अंतिम सांस पे
लौट आ
उम्मीद अब हारी
कोई बैठा है इंतजार में तेरे
स्वरचित
V9द चौहान