दिल की हर चाहत आशिकी हो ये जरूरी नहीं।
दिल की हर चाहत आशिकी हो ये जरूरी नहीं।
होठों की हर गुनगुनाहट मौशिकी हो ये जरूरी नहीं।।
कभी कभी आदमी जिंदगी के बोझ से भी लड़खड़ाने लगता है।
कदमों की हर लड़खड़ाहट नशा ही हो ये जरूरी नहीं।।
“कश्यप”