Tumane chhala
वर्तमान परिदृश्य पर एक भाव*
तुमने छला
विश्वास का घोंटकर गला
साथी का जिसने लिए
सात फेरे!
साथ निभाने का
सात जनम, पवित्र अग्नि का
कुल देवी,कुल देवता
पूजे गए, दोनों के
पुरोहितों ने पवित्र मंत्रों से
तुम्हारे वचनों के साक्षी बने
धरती,आकाश
चतुर्दिक दिग्पाल ,
घोंट दिया तुमने विश्वास
अरमानों को जला
तुमने छला, विश्वास का घोंटकर गला।
मनुज की सरलता का
मां के आंचल का
रिश्ते व नाते का
नारी की ममता को
दिया धूल में मिला
तुमने छला, विश्वास का घोंटकर गला।।
भूल गयी तप देवीसावित्री की
या फिर भूल गयी
पंच कन्याओं को??
माता जानकी या
देवी वीरांगनाओं को??
ममता,सत औ करूणा की मूर्ति होती
भारत की असंख्य, पूजित
सत्यवंती मांओं को??
छला, तुमने छला
विश्वास का घोंटकर गला??
**डॉ मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर ‘