Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Jun 2025 · 1 min read

पर्दादारी

हमने परर्दो के पीछे भी परदे लगा रखै है
पता नही इनके पीछे क्या राज़ छुपा रखे है?

कोई एक उठा कर झँ|क भी ले तो क्या?
हमने अपने दर्द , भी दर कैद छुपा रखे है!!

कैसे और क्यू करै हम उजागर दर्दे दिल,
मरहम की जगह लोगो ने नश्तर चुभा रखे है!!

यह जख्म भी गैरो ने नही,अपनो ने दिए है,
अपनो को शर्म नही,गैरो से गिला बना रखे है!!

हो रिवायतें कितनी पुरानी,पर है अपनी ,
पुरानी रिवायतो,विदेशी चश्मे चढ़ा रखे हैं !!

सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकट.कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजँ,सिकँदरा,आगरा -282007
मो :941244303

Loading...