*कितने सपने देखे सबने, क्षण में बिखर गए (गीत)*
कितने सपने देखे सबने, क्षण में बिखर गए (गीत)
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कितने सपने देखे सबने, क्षण में बिखर गए
1)
वायुयान तो ऊपर उठता, पर नीचे को आया
लगे सिर्फ दो मिनट आग ने, भट्टी-सा दहकाया
एक बचा बस भाग्यवान ही, बाकी किधर गए
2)
कोई मिलने गई पिया से, विदा सभी से पाई
सजे हाथ में चूड़ी-कंगन, मन में थी तरुणाई
देह कोयला-सी जिन्होंने, देखी सिहर गए
3)
किसे पता था यात्रा अंतिम, यात्रा बन जाएगी
हिचकी तक भी नहीं विदा के, मौके पर आएगी
चटक रंग धरती पर सजते, दौड़ो जिधर गए
कितने सपने देखे सबने, क्षण में बिखर गए
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451