रोशनी प्यार की
चाह में तेरी हम संवरने लगे
संग खुशबू हवा में बिखरने लगे
तुमने मिलने का वादा किया जब मिले
फिर वादे से अपने मुकरने लगे।
एहसास है गलतियों का हमें
तुम मिलो तो तुमको मना लेंगे हम
जाने न देंगे कभी दूर फिर
तुमको दिल में ऐसे छुपा लेंगे हम।
जिंदगी इक नया मुक़ाम पाएगी
ख़ुशी ही ख़ुशी नजर आएगी
अपने चर्चे होंगे दोनों जहां में
रोशनी प्यार की बिखर जाएगी।
-देवेंद्र प्रताप वर्मा ‘विनीत’