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28 May 2025 · 3 min read

*आकाशवाणी पर हिंदी समाचारों के पचास वर्ष:एक अनुभव*

आकाशवाणी पर हिंदी समाचारों के पचास वर्ष:एक अनुभव
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टेलीविजन के आने के बाद आकाशवाणी पर समाचार सुनना बंद हो गया। आज लगभग चालीस-पैंतालिस वर्ष बाद रात पौने नौ बजे के हिंदी समाचार सुने।

हिंदी समाचारों का न समय बदला, न उसकी अवधि। खेल समाचार हमेशा की तरह सबसे अंत में आए। “समाचार समाप्त हुए” यह घोषणा भी हमेशा की तरह समाचारों का एक हिस्सा था।

समाचारों की शुरुआत में थोड़ा फर्क था। पहले समाचारों की शुरुआत इन शब्दों से होती थी: “यह आकाशवाणी है। अब आप देवकीनंदन पांडेय से समाचार सुनिए।”
दो हजार पच्चीस के हिंदी समाचारों को छोटा बताने का आशय मेरा नहीं है। लेकिन कहॉं देवकीनंदन पांडेय की गंभीर आवाज, एक-एक शब्द का सुस्पष्ट उच्चारण, समाचार के किस अंश पर अथवा यों कहिए कि किस शब्द पर अधिक जोर देकर आगे बढ़ना है; इस बात को देवकीनंदन पांडेय से बढ़कर उस समय भी शायद ही कोई समाचार वाचक अभिव्यक्त कर पता होगा। उस समय भी अच्छे पढ़ने वाले लोग थे, लेकिन जिन्होंने देवकीनंदन पांडेय से आकाशवाणी पर समाचार सुन लिए; वह किसी दूसरे स्वाद को पसंद नहीं कर सकते। एक समाचार के बाद दूसरे समाचार को आरंभ करते समय जो थोड़ी-सी जगह छोड़नी होती है, उसे चतुराई-पूर्वक प्रयोग में लाने की कला तो केवल देवकीनंदन पांडेय जैसे समाचार वाचकों में ही हो सकती थी।

समाचारों की प्रस्तुति में कुछ और परिवर्तन भी आए हैं। पचास साल पहले के समाचार विशुद्ध समाचार होते थे। बस यों समझ लीजिए कि पत्रिका का एक अंक सामने है और सिलसिलेवार हमें केवल प्रष्ठों को पलटना होता था। वह समाचार स्वयं में संपूर्ण सुगठित होते थे। दो हजार पच्चीस के समाचारों में समाचार-वाचक का समय पंद्रह मिनट से घटकर आठ या नौ मिनट का रह गया है। बाकी समय समाचारों के साथ सजीव चित्रण और टिप्पणियों ने घेर लिया है। इसका उपयोग समाचारों में बोलचाल की भाषा को प्रविष्ट करना भी हो सकता है। समाचारों के बीच-बीच में विशुद्ध अंग्रेजी के वाक्यों का प्रयोग सजीव दृश्य के रूप में ही किया जा सकता था। यही हुआ भी है। बोलचाल की भाषा में जिस प्रकार उच्च शिक्षित वर्ग अंग्रेजी मिश्रित शब्दों का प्रयोग करता है, हिंदी समाचारों के मध्य भी वही कुछ देखने को मिला। अंग्रेजी माध्यम के जो विद्यार्थी रहे हैं, वह तो और भी ज्यादा इन टिप्पणियों को पसंद करेंगे। जनरुचियों को ध्यान में रखकर आकाशवाणी की हिंदी समाचार सेवा द्वारा समाचारों के मध्य अंग्रेजी का तड़का लगाकर समाचारों को रुचिकर बनाने का यह प्रयास हिंदी समाचारों को अधिक लोकप्रिय बनाएगा, इसमें संदेह नहीं है। आम जनता बोलचाल की भाषा पसंद करती है। घर-घर में अंग्रेजी के शब्द बोले जा रहे हैं। हिंदी समाचारों के साथ अंग्रेजी मिश्रित टिप्पणियों का पुट इसी जनभावना का द्योतक है। एक तरह से हम कह सकते हैं कि आकाशवाणी के हिंदी समाचार कुछ-कुछ टेलीविजन के हिंदी समाचारों के समकक्ष आ रहे हैं।

बस इतना फर्क है कि इन समाचारों के मध्य “परिचर्चा” नहीं है। वरना सब कुछ है। टेलीविजन में परिचर्चा इतनी लंबी खिंच जाती है कि दर्शकों को समाचार सुनने को ही नहीं मिल पाते हैं। आकाशवाणी अभी इस प्रवृत्ति से बची हुई है। वैसे भी पंद्रह मिनट में समाचारों के बीच में परिचर्चा एक मुश्किल काम है।

समय के साथ बहुत कुछ बदलता है। हमें परिवर्तनों का स्वागत करना चाहिए। मैं आकाशवाणी के समाचारों की नवीन विशेषताओं का अभिनंदन करता हूॅं। लेकिन फिर भी कानों में वही आवाज गूॅंजती है और उसी के आकर्षण में मैं लीन हो जाता हूॅं, जो कभी सुना करता था: “यह आकाशवाणी है। अब आप देवकीनंदन पांडेय से समाचार सुनिए।”
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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