अकेला यहां कोई नहीं
अकेला यहां कोई नहीं
सबके पास मोबाइल यंत्र है
अपना कोई नहीं
सब आभासी मित्र है
ये डिजिटल दुनिया है ,साहेब
सुनहरी यादें
एक छोटी सी उंगली से
डिलीट कर दी जाती हैं
और बरसों के रिश्ते…
एक छोटे से अंगूठे से
ब्लॉक !
***धीरजा शर्मा ***