*श्री कृष्ण बताते हैं हमको (राधेश्यामी छंद)*
श्री कृष्ण बताते हैं हमको (राधेश्यामी छंद)
_________________________
1)
श्री कृष्ण बताते हैं हमको, जब घड़ा पाप का भरता है।
पापी का अंत वार से तब, यह चक्र-सुदर्शन करता है।।
2)
यह चक्र-सुदर्शन इस जग में, सभ्यता सिखाने आया है।
सौवीं गलती पर बची नहीं, शिशुपालों की भी काया है।।
3)
यह चक्र-सुदर्शन बतलाता, सीमाओं में रहना सीखो।
सीमा का हो अतिक्रमण नहीं, सीमा-अनुशासन में दीखो।।
4)
यह चक्र-सुदर्शन केशव का, दुष्टों को सबक सिखाता है।
जो समझ न पाते बातों से, फिर ताकत से समझाता है।।
5)
जिसने मर्यादा को तोड़ा, फल उसे भुगतना पड़ता है।
विपरीत बुद्धि होती जिसकी, वह तुच्छ बात पर अड़ता है।।
6)
नदियों ने सीमा जब लॉंघी, तब-तब बाढ़ें ही आई हैंं।
अनियंत्रित हवा चली है जब, तब सिर्फ ऑंधियॉं छाई हैं।।
7)
परिवार राष्ट्र सुदृढ़ है तब, जब अवयव सारे एक रहें।
जिस-जिस पद पर सत्ता जिसकी, नीयत से सारे नेक रहें।।
8)
सब सदा सहायक हों सबके, मृदु शिष्ट सौम्य व्यवहार रहें।
सब संयम में रह कार्य करें, सबके ही सभ्य विचार रहें।।
_________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451