मुक्तक __
मुक्तक __
वफ़ा की राह में रोड़े , हज़ारों बार देखे हैं ,
नहीं देखे कभी हमने , जो दिन ये चार देखे हैं,
गुलों की इंतिहा देखी , वहीं मौसम में जाँ देखी,
हदों से बढ़ गई उलफ़त, तो दिल लाचार देखे हैं।
✍️नील रूहानी.
मुक्तक __
वफ़ा की राह में रोड़े , हज़ारों बार देखे हैं ,
नहीं देखे कभी हमने , जो दिन ये चार देखे हैं,
गुलों की इंतिहा देखी , वहीं मौसम में जाँ देखी,
हदों से बढ़ गई उलफ़त, तो दिल लाचार देखे हैं।
✍️नील रूहानी.