चिंता

चिंता
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अभी चिंता का बाजार भाव ऊंचा है
कोई चुटकी भर तो कोई मन भर
चिंता को अपने साथ साथ लिए
होठों पर खोखली मुस्कान के साथ
केवल सामने वाले लोगों को भरमाने
बेफिक्र चलता फिरता नजर आता है
पर कुछ लोग जो चिंता को बिल्कुल
कभी कौड़ी के भाव भी नहीं पूछता
चिंता उसके घर भी पहुंचने के लिए
कोई न कोई सुंदर बहाना बना कर
अपने लिए रास्ता बना ही लेती है
पारस नाथ झा ✍️
अररिया,बिहार