पवन पुत्र हनुमान

वायु पुत्र हनुमान,
करें राम गुणगान,
रख मर्यादा का ध्यान,
रचें दिव्य विधान ये।
कहतींं हैं सीता माता,
राम गुण नित गाता,
उससे सुत सा नाता,
चाहे बस सम्मान ये।
रक्त वर्ण का वंदन,
श्रद्धा का अभिनंदन,
निर्मल भक्तों का मन,
सदा रखते ध्यान ये।
श्रेष्ठ करो हर कर्म,
समझो पावन मर्म,
है सच्चा मानव धर्म,
देते उत्तम ज्ञान ये।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम