बाल कविता

तितली
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तितली रानी तितली रानी,
तुम कहाॅं से आती हो।
कितना सुंदर मेकप करती,
कितने रंग लगाती हो ।।
फूल-फूल पर कली-कली पर,
इठलाती इतराती हो।
जब आता हूॅं पास तुम्हारे,
चली कहाॅं को जाती हो।।
कितने सुंदर पंख तुम्हारे,
मेरे मन को भाती हो।
सच बतला दो मुझसे मिलने,
क्या परीलोक से आती हो।।
सुमन-सुमन पर बैठ-बैठ कर,
क्या-क्या करती रहती हो।
किस प्रसून को ढूंढ रही हो,
मुझसे क्यों न कहती हो ।।
~राजकुमार पाल (राज)
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)