छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
बदलना न चाहने वाले को आप कभी बदल नहीं सकते ठीक उसी तरह जैसे
क्यों लिखूं मैं तुमको?
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
"हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए, दूसरों के भल
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
कल पापा की परी को उड़ाने के लिए छत से धक्का दिया..!🫣💃
- जिसको अपनो द्वारा मिली दुत्कार उसको मिल रहा चाहने वालो से प्यार -
सिर्फ कलैंडर ही बदला है, किंतु न बदला हाल।।
मुझे तुम मिल जाओगी इतना विश्वास था
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
ऐसे रुखसत तुम होकर, जावो नहीं हमसे दूर