बाहर हवा चल रही है, पर ये कह नही सकते कि हवा बुरा मान जाएगी
बाहर हवा चल रही है, पर ये कह नही सकते कि हवा बुरा मान जाएगी
बाहर वर्षा हो रही है, पर ये कह नही सकते कि वर्षा बुरा मान जाएगी
बाहर अंबर नीला है, जमीं पीली है ,पर ये कह नही सकते कि वे भी बुरा मान जाएगे
बाहर परमेश्वर है,पैगम्बर है मगर ये कहीं नही सकते
सरफिरे जज्बात बुरा मान जाएगें
यहाँ सब कुदरती है, बुरा मान जाना रूठने की एक कला है |
@जितेन्द्र कुमार सरकार