हे ग्रोहक्!
हे ग्रोहक्,
क्या कर रहे हो,
क्या है इरादा,
क्या हो सकता है,
तुम्हे इससे फायदा
या किया है,
किसी से कोई वायदा!
हर रोज करते हो,
तुम नये खुलासे,
नहीं आएंगे हम,
तुम्हारे झांसे,
करेंगे नहीं तुम पर कोई करम,
रखना नहीं तुम यह भ्रम,
आति नही तुम्हे,
थोड़ी सी भी शर्म!
हमसे ही कारोबार,
हमसे ही अदावत,
सहेंगे नहीं ऐसी शरारत,
लगानी पड़ेगी,
तुम पर पाबंदी,
होगी नहीं इस पर रजामंदी!
हुई हैं भावनाएं भक्तों आहत,
घटेगी भक्ति की हमसे चाहत,
यह हम अब सह नहीं सकेंगे,
संभल जाओ अब भी,
नहीं तो कुछ भी करेंगे,
तुम नही डरते,
तो हम क्यों डरेंगे,
बात समझो हमारी,
ना कुछ कहेंगे,
ना कुछ करेंगे,
यदि तुम रुको तो,
हम भी रुकेंगे!
यार अपनी भी इज्जत है,
सारे जहाँ में,
मिट्टी पलीद करते हो यहां पे,
कैसे सहें हम ये रुसवाई,
हम पर तो तोह मत,
और गैरों पे इनायत,
घटाते हमारा मान,
उन्हें देते सम्मान,
नहीं हमें स्वीकार,
ऐसा तिरस्कार,
कर रहे हैं हम तुम्हे,
अब खबरदार,
समझा करो यार,
रहने भी दो यार!!