जब महकी है

जब महकी है
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जब महकी है हर ओर धरा।
प्रिय मन में है अब स्नेह भरा।
हर पल देखो मन चंचल है।
चल पड़ता राह सुमंगल है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य
जब महकी है
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जब महकी है हर ओर धरा।
प्रिय मन में है अब स्नेह भरा।
हर पल देखो मन चंचल है।
चल पड़ता राह सुमंगल है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य