पत्नी
हमने पत्नी से पूछा…
हे ! हृदय वासिनि, भामिनी
हमारी प्रिय अर्धांगिनी
ढोल, गवार, शूद्र, पशु नारी
ये सकल ताड़ना के अधिकारी
इसका अर्थ जानती हो ?
और क्या तुम इसे अपने
जीवन में उतारती हो ?
तभी पत्नी बोली…
हे ! प्रियतम, मेरे दिल वासी !
आपके चरणों की यह दासी !!
आपकी हर बात का अर्थ जानती है !
और धर्म पत्नी होने के नाते इसे
अपने जीवन में भी उतारती है !!
किंतु हे, स्वामी ! कहने में बड़ा पाप है !
क्योंकि इस में एक जगह मैं हूं…
और चार जगह आप है !!
• विशाल शुक्ल