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12 Mar 2025 · 1 min read

मस्ती हो माहोल हो ,

मस्ती हो माहोल हो ,
हाथों में हो रंग ।
सर चढ़ कर फिर बोलती ,
छैल-छबीली भंग ।।

सुशील सरना / 12-3-25

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