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9 Mar 2025 · 1 min read

कविता--डुबते समाज की

जब अक्ल जिम्मेदारो की सो जाती हैं

एकता उस घर की बिल्कुल खो जाती है

सुनो मेरे बुजुर्गो जवांन साथियों तुम

शांति करते करते महाभारत हो जाती है

खुशबू सी आंगन तोते से उड़ जाती है

शत्रु की अच्छाई से दोस्ती जुड जाती है

• नस्ले उनकी शिक्षा पाकर खो जाती है

जब अक्ल जिम्मेदारों की सो जाती है

Writer CH Bilal✍️

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