पतंग की डोर

डोरी के बिना पतंग कुछ नहीं है,
डोरी से ही तो वो हवा में उड़ती है।
फिर न जाने क्यों लगता है उसे ऐसा,
डोरी उसे और ऊंचा जाने से रोकती है।
पतंग सोचती है, यदि डोरी न हो,
तो वह स्वतंत्रता से उड़ सकती है।
हवाओं में मस्त, ऊँचाई में छा सकती है,
पर उसे नहीं पता, डोरी से ही वो ज़मीन से जुड़ सकती है।
डोरी की पकड़ उसे जमीन से जोड़ती है,
निर्धारित करती है उसका रास्ता और उसकी दिशा।
टूट जाए अगर डोरी तो यकीनन
कुछ ही पलों में आ जाती पतंग के जीवन की निशा।
पतंग अगर डोरी को काट दे,
तो क्या वह सच में आसमान को छू सकेगी?
उल्टा, वह फिर गिर पड़ेगी,
और फिर कभी दोबारा न उड़ सकेगी।
डोरी है जो उसकी उड़ान को नियंत्रित करती,
है छोटी मगर है ज़िम्मेदारियाँ इसकी बड़ी।
स्वतंत्रता की चाहत में पतंग भूल जाती है,
डोरी ही तो है उसकी सुरक्षा की कड़ी।
इसलिए कभी कभी हमें समझना चाहिए,
मां बाप रोके तो मान लेना चाहिए हमें
माना की चलती है हवा में पतंग, लेकिन डोरी के बिना नहीं
इतना तो समझ जाना चाहिए हमें।
यह जीवन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है,
हमारे सपने, हमारी उम्मीदें डोरी जैसी हैं।
वो हमें ऊँचाई देती हैं, पर ज़मीन से जोड़े रखती हैं,
फिर बार बार ये स्वतंत्रता की दुहाई कैसी है?
बाधाएं आनी ही हैं, यह तो तय है,
लेकिन सुरक्षित उड़ान के लिए डोरी से बंधा रहना चाहिए।
उच्चतम शिखरों को छूने के लिए,
हमेशा हमें डोरी से जुड़ा रहना चाहिए।
पतंग को उड़ते हुए देखो, उसे समझो,
वह हवा में ख़ुद पर नियंत्रण रखती है सिर्फ़ डोर के सहारे।
लेकिन पतंग अनजान रहती है इस बात से ,
ज़मीं पर भी तो फिर उतर पाती है वो इसी डोर के सहारे।
बिना डोरी के पतंग उड़ नहीं सकती
बिना जड़ों के हम भी जी नहीं सकते।
डोरी हमारी सहायता और सुरक्षा के लिए है
इसे हम नज़रअंदाज़ कर नहीं सकते।
अब समझ लो, डोरी का महत्व क्या है,
वो हमारी उड़ान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पतंग की तरह उड़ो, लेकिन डोरी से जुड़कर,
सच्चाई बयां कर रहा हूं, न ये कोई क़िस्सा है।
हवा में उड़ना सपना है पतंग का
लेकिन डोरी के बिना गिरना निश्चित है।
इसलिए डोरी से प्यार करो, उसे अपनाओ,
फिर तुम्हारा ऊंचाइयों को छूना निश्चित है।