Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2025 · 1 min read

महाकुंभ

यूँ तो प्रयागराज से हम लौट आए हैं
आंखों में दृश्य पर सभी अब तक समाए हैं
देखा न अब तलक जो वो अद्भुत नज़ारा था
हम भाग्यवान हैं तभी कर स्नान पाए हैं

डॉ अर्चना गुप्ता
13.02.2025

3 Likes · 419 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

तुम कहो अगर
तुम कहो अगर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जान हो तुम ...
जान हो तुम ...
SURYA PRAKASH SHARMA
जीवन की रेलगाड़ी
जीवन की रेलगाड़ी
Deepali Kalra
दीवाली विशेष कविता
दीवाली विशेष कविता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
ଚୋରାଇ ଖାଇଲେ ମିଠା
ଚୋରାଇ ଖାଇଲେ ମିଠା
Bidyadhar Mantry
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
*लफ्ज*
*लफ्ज*
Kumar Vikrant
बदलना न चाहने वाले को आप कभी बदल नहीं सकते ठीक उसी तरह जैसे
बदलना न चाहने वाले को आप कभी बदल नहीं सकते ठीक उसी तरह जैसे
पूर्वार्थ
इस तरह भी होता है
इस तरह भी होता है
हिमांशु Kulshrestha
क्यों लिखूं मैं तुमको?
क्यों लिखूं मैं तुमको?
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
सियाचिनी सैनिक
सियाचिनी सैनिक
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
4656.*पूर्णिका*
4656.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए, दूसरों के भल
The World News
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
Neelofar Khan
..
..
*प्रणय प्रभात*
****माता रानी आई****
****माता रानी आई****
Kavita Chouhan
कल पापा की परी को उड़ाने के लिए छत से धक्का दिया..!🫣💃
कल पापा की परी को उड़ाने के लिए छत से धक्का दिया..!🫣💃
SPK Sachin Lodhi
"गुलशन"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
- जिसको अपनो द्वारा मिली दुत्कार उसको मिल रहा चाहने वालो से प्यार -
- जिसको अपनो द्वारा मिली दुत्कार उसको मिल रहा चाहने वालो से प्यार -
bharat gehlot
सिर्फ कलैंडर ही बदला है, किंतु न बदला हाल।।
सिर्फ कलैंडर ही बदला है, किंतु न बदला हाल।।
श्रीकृष्ण शुक्ल
राममय हुआ हिन्दुस्तान
राममय हुआ हिन्दुस्तान
Parmanand Nishad Priy
मुझे तुम मिल जाओगी इतना विश्वास था
मुझे तुम मिल जाओगी इतना विश्वास था
Keshav kishor Kumar
मन को मन का मिल गया,
मन को मन का मिल गया,
sushil sarna
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
DrLakshman Jha Parimal
रातें सारी तकते बीतीं
रातें सारी तकते बीतीं
Suryakant Dwivedi
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
Ravi Prakash
धर्म चाहे जो भी हो
धर्म चाहे जो भी हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
ऐसे रुखसत तुम होकर, जावो नहीं हमसे दूर
ऐसे रुखसत तुम होकर, जावो नहीं हमसे दूर
gurudeenverma198
Loading...