काया कंचन

काया कंचन मोह वश ,भोगें दम्भी लोग |
काम, क्रोध, मद, लोभ है , अंतस मानस रोग ||
अंतस मानस रोग, क्लेश दारिद्रय बढ़ाते |
संसारिक दुख झेल आपसी भेद गढ़ाते ||
कहें प्रेम कवि राय,जगत पहचाने माया |
सपना यह संसार, झूठ है कंचन काया ||
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम