स्वतः सादगी और संस्कृति

डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त
जिस किसी से भी प्यार कीजिए रूह कीजिए उसकी और अपनी भी कभी कोई दिक्कत आएगी ही नहीं क्योंकि रूप से अपेक्षा होती है काया से जरूरत पैदा होती है उसकी या फिर अपनी।
वो आपको स्वतः मिलेगी लिख लेवें।
और नहीं मिली तो ग़म तो निश्चित नहीं होने वाला है दोस्तो।
एक फॉर्मूला याद रखिए चिपकिए मत ।
ये बहुत ग़लत आदत है, अपना और दूसरे के समय का सम्मान कीजिए