*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
अंतस किवाड़ ऊगडै, गुरु मुख सुणया ग्यांन।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
लोग जब सत्य के मार्ग पर ही चलते,
पुराना तजो जी, नवल को भजो जी,
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
आज फिर खिड़की पर बारिश हो रही है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अपने मोहब्बत के शरबत में उसने पिलाया मिलाकर जहर।
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
"सुविधाओं के अभाव में रह जाते हैं ll
चार कंधों पर जब, वे जान जा रहा था
Casino 23Win mang đến không gian giải trí hiện đại với hàng
मेरी उम्मीदों पर नाउम्मीदी का पर्दा न डाल