एक रफी साहब एक प्यारे कलाम हैं
तहजीब औ मोहब्बत की दोनों मिसाल हैं
एक रफी साहब एक चाचा कलाम हैं
एक बादशाह सुरों का
एक रहनुमा बहादुरों का
दोनों की शख़्सियत में फ़रिश्तों सी शान है
एक रफ़ी साहब एक अब्दुल कलाम हैं
गली गली नगर नगर आसुओं में डूबे
बिलखते शहर शहर भारत के सुबे सूबे
बदहवास सी दिशाएं सिसकती सी शाम है
पहले रफ़ी साहब फिर बिछड़े कलाम है
है कौन सी अदावत ऐ माह-ए-जुलाई हमसे
रफ़ी साहब का साया छीना कलाम छीना हमसे
हंसतों को रुलाना क्या यहीं तेरा काम है
पहले रफ़ी साहब फिर महरूम ए कलाम हैं
(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari’Ayan’