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23 Jan 2025 · 1 min read

*वही शादी वही गाने, वही फिर मंच सजता है (हिंदी गजल)*

वही शादी वही गाने, वही फिर मंच सजता है (हिंदी गजल)
________________________
1)
वही शादी वही गाने, वही फिर मंच सजता है
वही बाजा नई धुन को, लिए हर रोज बजता है
2)
वही फिर लौट कर सावन, सुहाना आ गया मौसम
गगन में फिर घना बादल, मधुर स्वर में गरजता है
3)
किसी ने साधना की है, बसाकर मौन को मन में
सुना है भक्त फिर कोई, हृदय से ईश भजता है
4)
चमकने फिर लगेगा पात्र, पहले से कहीं ज्यादा
चमकता है मगर वह एक, जो कस-कस के मॅंजता है
5)
सभी को ईश के जरिए, करानी पूर्ण इच्छाऍं
किसी ने ईश कब चाहा, जगत को कौन तजता है

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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