कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिंदगी एक कोरे किताब की तरह है जिसका एक पन्ना हम रोज लिखते ह
फूल यूहीं खिला नहीं करते कलियों में बीज को दफ़्न होना पड़ता
Rang zindigi ka
Duniya kitni gol hain?!?!
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
" नई चढ़ाई चढ़ना है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
सब्र रखो सच्च है क्या तुम जान जाओगे
गीत- बहुत गर्मी लिए रुत है...
मजदूर दिवस मनाएं
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
ख़ुद से ही छिपा लेता हूं बातें दिल के किसी कोने में,
नई पीढ़ी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
क्या हूनर क्या गजब अदाकारी है ।