होना चाहिए….
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होना चाहिए….
एक साथी ऐसा भी ज़िन्दगी में
जो अलग हो दायरों से..
सामाजिक रिवाज़ों से।
बाँटते समय जिससे …
अपना अंतर्मन, ये ख्याल ही न आये
कि वो सखी है या सखा ।
जो समझे आपको, आपकी ही तरह।
जिससे मिलकर लगे.. जैसे हो गयी हो,
स्वयं से ही स्वयं की मुलाकात…!!
©️ शुभम आनंद मनमीत