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14 May 2024 · 1 min read

मैं भी अपनी नींद लुटाऊं

आसमां के नीचे
खाट बिछाकर सोया हूँ
शून्य गहन विस्तार
मुझे ताक रहा बारंबार
है सोच रहा शायद
क्यों ये शख़्स सोया नहीं?
तो सुन ले आसमां
जब सरहद पर मेरा भाई
मेरी नींद के लिए
सोया नहीं हो
जो छुपाकर अपना दर्द
कभी रोया नहीं हो,
तो क्यों ना उसे
अहसास कराऊं
अपनेपन का फर्ज निभाऊं
एक रात तो उसके खातिर
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं।
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं।।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 83 Views

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