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14 Jan 2025 · 1 min read

किसान

रखवाली वह रात भर, दिन भर करता काम।
फिर भी है पाता नहीं, लागत भर का दाम।
लागत भर का दाम, हाय कितना छपटाता।
जब सब्जी या अन्न, लिए मंडी में जाता।
है भारत की रीढ़, हाथ उसका है खाली।
बचे नहीं कुछ शेष, मगर करता रखवाली।।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 05/01/2025

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