बड़ी हसीन थी वो सुबह
बड़ी हसीन थी वो सुबह
मैंने भी चहल-पहल की
गलियारें से निकली खुशबू
देखी उस महल की
तनिक ठहरा तनिक समझा
प्रेम गहरा दिन सुनहरा
मन किया बोल दूं है ईश्क तुमसे
सुन तु भी मेरे दिल की
है नूर थी कोहिनूर थी
वो हूर थी सुरुर थी
ऐ खुदा! फिर मिले वो दौलत
यह जिस्म में वह टहलती
~Jitendra kumar sarkar