सुखों की आस अब नव वर्ष से हमने लगाई है
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सुखों की आस अब नव वर्ष से हमने लगाई है ।
करेंगे कोशिशें हम यही कसमे उठाई है।।
छटेगा दुख का कुहासा मिरा सूरज जो चमकेगा ।
सुनहरी ओस की बूंदों से हर शय जगमगाई है।।
तू दिल को आईने सा साफ क्यों रखते नहीं यारों।
तिरा सुंदर सा चेहरा तो कसम से बनी बनाई है।।
खड़ा हिम्मत से जीवन की लड़ाई में अकेला ही।
खुदा इंसाफ करेगा ये समय की अंगड़ाई है।।
बड़ा अद्भुत सा लगता गोद में बैठे तू मां कह दे।
हजारों साल जीने की तमन्ना “नूरी” में आई है।।
नूर फातिमा खातून “नूरी ”
जिला -कुशीनगर