प्रवासी भारतीय दिवस
रेतळी धरती रो म्हारो देश, प्रेम अर मान री गाथा,
दूरां दूरां जाण्या पण, बिणजोड़ी देश री माला।
भारत री माटी सूं लगाव, घणा रा सपूत बतावै,
वो प्रवासी भारतीया, दुनिया नै रोशण करवावै।
मरुधरा री बाणी सुनै, परदेश मां घीध घमावै,
राजस्थानी संस्कारां नै, जग मां गौरव बढ़ावै।
हिवड़ा मां देश री मूरत, मन में धरती रो मान,
हर हाल मां जोड़्या राखे, भारत रो पहचान।
वो व्यापार मां चमकावै, या ज्ञान रा दीप जलावै,
संस्कृति अर कला सूं, दुनिया नै फेर रिझावै।
धरती सुणे रा सपूता, जग मां रोशण करवै,
प्रवासी भारतीय री गाथा, हर ज्यूं मन नै हरवै।
आज री दिन हम नमन करां, उन घणां रा सपूत नै,
जाण्या पण जोड़्या राख्या, भारत रा हर सुत्र नै।
जय हो प्रवासी भारतीया, भारत री शान बढावै,
राजस्थानी धरती आपरा, हरदम मान कमावै।
अनोप भाम्बु
जोधपुर