अंदाज़े शायरी
क्यूँ कर लोग मिटा लेते हैं शख्सियत अपनी
क्यूँ कर लोग फ़ना कर लेते हैं ओहदा अपना l
क्यूँ कर सोचते नहीं हैं अपनों के बारे में
क्यूँ कर लोग दफन कर देते हैं रिश्ते अपने ll
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम
क्यूँ कर लोग मिटा लेते हैं शख्सियत अपनी
क्यूँ कर लोग फ़ना कर लेते हैं ओहदा अपना l
क्यूँ कर सोचते नहीं हैं अपनों के बारे में
क्यूँ कर लोग दफन कर देते हैं रिश्ते अपने ll
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम