चालाकी कहां मिलती है मुझे भी बता दो,
*शुभ रात्रि हो सबकी*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*सिवा तेरे सुनो हम-दम हमारा भी नहीं*
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।
ग़ज़ल : तुमको लगता है तुम्हारी ज़िंदगी पुर-नूर है
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
गाय, बछड़ा और गौभक्त / musafir baitha
*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )
जुदाई
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi