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2 Feb 2024 · 1 min read

*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )

चाँद कुछ कहना है आज

हर पूर्णिमा को चाँद तुमसे
जिस परी ने मिलवाया था ,

तुम्हारी सुन्दर छवि निहारना
उन्होंने ही तो सिखलाया था ,

लोग देखते थे दाग तुम्हारे
घटते बढ़ते पर तुम न हारे,

जब उनकी निगाहों से देखा
तुम्हें बहुत सुन्दर पाया था ,

तुम्हारी तरह थोड़ा मजबूर था
रोशन चहरा तुम्हारे नूर सा ,

चाँद कुछ कहना है आज
उनका अक्स नजर आया था ,

मामा हो तुम बचपन से आज
माँ का चहरा तुम में पाया था,

माफ़ करना चाँद मुझे पर
कम सुन्दर तुम्हें पाया था ,

अतुल्य सुन्दर था वो चहरा
जो तुम में नजर आया था ,

आज एक खिचाव था तुम में
जो आंखों में पानी लाया था …

– क्षमा उर्मिला

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