दोहा त्रयी. . . चाँद
दोहा त्रयी. . . चाँद
पोल खोलता रात की, नटखट मौन प्रभात ।
किसकी किसके साथ में, कैसे बीती रात ।।
झील किनारे ज्योत्सना, बैठ करे शृंगार ।
मेघ ओट से चंद्रमा, उसको रहा निहार ।।
विभावरी मोहित हुई, देख चाँद का रूप ।
ऐसा लगता रात में, चाँद खिलाए धूप ।।
सुशील सरना / 26-12-24